जय सतगुरु देवा
आरती करहुं
सद्गुरु चालीसा
अब तो जाग मुसाफिर
अंत वेले सब तैनू
अपने दुःख में रोने
अरे संगतों निगाह
अस्साँ साहिबजी
अविगत से चले आये
आये हैं गुरुवर
बंदगी साहिब दी
बोल कहाँ घर
चल वो दिलां
चलो बुलावा आया है
दस्सो मेरे साहिबजी
कबीर साहिब दोहे
एक तेरा नाम सार
एक मेहर नज़र
गुरु चरनी चित
गुरु खेवा हमरी
गुरुदेव तुम्हारे चरणों
हंस जब-जब उड़ा
हंसा सतनाम भजो
इक बार भजन
जगत के रंग क्या
मन लागो मेरो यार
मन जोगी रे
मरहमी होये तो
मेहरबाँ आ गया है
मेरा आपकी कृपा
मेरे मन में जोत
मेहरां वालेयां साहिबा
मेरे सतगुरु आ
मिलता है सच्चा
मुझ पे कर्म-ए
मुझे वो दिल
मुखड़ा देख ले
नाम गुरु का
ओ साहिबा मेरे
रांजड़ी वाले साहिब
सच्चे साहिबा
साहिब जग में
साहिब नाम है
साहिबजी अरदास है
तेरा नाम सार है
तेरे दर ते
तेरा स्वागत किया
तेरे आसरे पे छोड़े
ज़िन्दगी में हज़ारों